कहानी: 3.5/5 पात्र: 3.5/5 लेखन शैली: 4/5 उत्कर्ष: 4/5 मनोरंजन: 4/5
“वाह जी वाह! एक गुलजार साहब हुए हैं। और एक हुए हैं अमित कुमार पांडे। इतिहास में आज तक का सबसे दर्द भरा ब्रेक अप लेटर गुलजार साहब ने लिखा— ‘मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है’। और उसके बाद पांडे जी ने लिखा – ‘मेरा सात सौ पिचहत्तर रुपिया, तुम्हारे पास पड़ा है, वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो’, मैंने कहा।”
निखिल सचान, यूपी 65
निखिल सचान नई हिंदी के उभरते हुए कथाकार हैं और अपनी पहली पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही वह एक लोकप्रिय और सफल उपन्यासकार के रूप में स्थापित हो चुके हैं। वह आई.आई.टी. और आई.आई.एम. के पूर्व छात्र रहे हैं। उनके उपन्यास ‘यूपी 65’ का प्रकाशन सन् 2017 में हुआ था जबकि इससे पूर्व उनकी दो पुस्तकें ‘नमक स्वादानुसार’ और ‘जिंदगी आइसपाइस’ प्रकाशित हो चुकीं हैं जो विगत वर्षों में हिंदी की सर्वाधिक बिकने वालीं पुस्तकों में से हैं।
‘यूपी 65’ आई.आई.टी. बनारस की पृष्ठभूमि पर आधारित उपन्यास है जो 12 खंडों में विभाजित है। इन सभी खंडों के अनेक उपशीर्षक हैं। प्रथम दृष्टि में तो ये अटपटे उपशीर्षक कौतूहल उत्पन्न करते हैं परंतु उपन्यास पढ़ने के पश्चात यह अपनी सार्थकता स्वतः सिद्ध कर देते हैं।
जहां तक इस उपन्यास के कथानक का प्रश्न है यह आई.आई.टी. बनारस में देश के कोने-कोने से आए विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर रचा गया है। उपन्यास के प्रथम दो खंडों में उपन्यासकार ने छात्रों के परस्पर परिचय, कॉलेज परिसर में सीनियर छात्रों द्वारा जूनियर छात्रों की रैगिंग के अतिरिक्त, छात्रावास के कमरा नंबर 16 के छात्रों की मौज मस्ती तथा उनके आचार-विचार आदि का वर्णन किया है।
अगले खंडों में बीएचयू के कुलपति के परिचय के साथ-साथ परिसर में कबाड़ी बाबा के नाम से प्रख्यात एक ऐसे व्यक्ति का चित्रण किया गया है जो छात्रों की उचित-अनुचित सभी ज़रूरतों को पूरा करता है। उसके पास परिसर के प्रोफेसरों, कर्मचारियों और छात्रों का पूरा कच्चा चिट्ठा रहता है। इसके अतिरिक्त बनारस के मुमुक्षु भवन, अस्सी घाट आदि की भी उपन्यास में विशेष रूप से चर्चा की गई है। आगे के खंडों में कॉलेज में छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था, छात्रावास में छात्रों की दिनचर्या, उनकी चर्चा के विषय, छात्र-छात्राओं की मित्रता आदि के दृश्य देखने को मिलते हैं।
इसके बाद उपन्यास के प्रमुख पात्र निशांत और शुभ्रा की मित्रता, उनकी परस्पर नोकझोंक, परीक्षा की तैयारी, परीक्षा के लिए अस्सी पर्सेंट उपस्थिति की अनिवार्यता, इसके विरुद्ध छात्रों का पेन-डाउन मूवमेंट की तैयारी करना, नारेबाजी व विरोध प्रदर्शन, छात्र राजनीति और उसमें निशांत अर्थात नायक का विशेष रूप से सक्रिय होना दर्शाया गया है।
अनेक घटनाओं के पश्चात निशांत का विश्वविद्यालय से निष्कासन और छात्र विरोध तथा मेधावी छात्र होने के कारण प्राध्यापकों का समर्थन मिलना और निशांत का हॉस्टल लौट आना आदि जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। संक्षेप में यही उपन्यास का कथानक है। कथानक में कसावट उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता है क्योंकि यह कहीं भी बोझिल और शिथिल नहीं है।
‘यूपी 65’ उपन्यास में पात्रों की संख्या अधिक है परंतु यह उपन्यास की आवश्यकता है क्योंकि इसके अभाव में बनारस और आई.आई.टी. बी.एच.यू. का पूरा खाका खींचना असंभव ही था। इस उपन्यास के मुख्य पात्र निशांत, शुभ्रा, प्रसाद, मोहित, अमित, श्रद्धा सिंह, वि.वि. के उपकुलपति, कबाड़ी, मुमुक्षु आश्रम के भैरव नाथ आदि हैं।
विवि परिसर से जुड़े हुए देश के विभिन्न प्रांतों से आए छात्रों की बोली, वेशभूषा, मन:स्थिति आदि एकता में अनेकता प्रस्तुत करते हैं। पात्रों के चयन में उपन्यासकार ने बहुत सावधानी बरती है। प्रत्येक पात्र का उपन्यास में अपना एक विशेष स्थान है और यह कहानी को चरमोत्कर्ष तक पहुंचाने में सहायक है। पात्रों के माध्यम से ही उपन्यासकार ने छात्रों और प्रोफेसरों की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत की है और हमारी शिक्षा प्रणाली तथा परीक्षा प्रणाली की पोल खोल कर रख दी है।
पात्रों की अधिक संख्या पाठकों में उलझाव उत्पन्न नहीं करती है वरन कथानक को पूर्णता की ओर अग्रसर करती है। उपन्यासकार निखिल सचान उत्तर प्रदेश से हैं तथा उपन्यास के कुछ पात्र जैसे निशांत कानपुर और अमित इलाहाबाद से है अतः यह दोनों जिस भाषा का प्रयोग करते हैं वह हिंदी है। परंतु दोनों शहरों में बोली जाने वाली भाषा की विविधता को बहुत सुंदरता से दर्शाया गया है। संवाद-योजना परिपक़्व है और पात्रों के व्यक्तित्व प्रकाशन में पूर्णत: समर्थ है।
‘यूपी 65’ में हिंदी भाषा के विविध रूप दिखाई देते हैं। इसमें विभिन्न प्रांतों की बोली के सुंदर उदाहरण देखने को मिलते हैं। जहां तक कानपुर इलाहाबाद और बनारस की बोली का प्रश्न है तो इनमें गालियों की भरमार है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे गालियों के बिना बात करना इन लोगों के लिए असंभव है। लोक जीवन में प्रयुक्त होने वाले शब्द जैसे गड्ड-मड्ड, बागड़-बिल्ले, लभिड़, पंगा, झपड़िया, भोकाल, भैरंट, बकर-पुराण, रट्टा मारना, जिजियाने लगना, बिदक गए आदि शब्दों का बहुत सुंदर प्रयोग किया गया है। यदि उत्तर भारतीय हिंदी के शब्द विशेष जैसे खा-खू, लड़-भिड़, चाय-वाय जैसे शब्द भी भाषिक सौंदर्य में वृद्धि करते हैं।
इसके अतिरिक्त अंग्रेजी शब्द जैसे रैपिड फायर, टॉपर, केचप, शेयर, रूममेट, कॉकटेल, चैप्टर, डिफेंड, जीनियस तथा उर्दू शब्द जैसे खुराफाती, हिदायत, तालीम, शगल, सुकून आदि के साथ-साथ तद्भव जैसे र एडमीसन, आसिरबाद आदि का प्रयोग भी पात्रों के अनुसार किया गया है। भाषा में अर्थ गत सौंदर्य की वृद्धि के लिए आंखें चमक गई, अंधेरे में मोमबत्ती खोजना, पेट पकड़कर हंसना आदि मुहावरों का भी उपन्यास में प्रयोग किया गया है। शिक्षित व्यक्तियों द्वारा पूरे-पूरे अंग्रेजी वाक्यों का प्रयोग उपन्यास को वास्तविकता प्रदान करता है।
उपन्यास ‘यूपी 65’ बनारस के आई.आई. टी. परिसर से प्रारंभ होता हुआ अनेक घटनाक्रमों से गुज़रते हुए अंततः अभीष्ट उद्देश्य तक पहुंचने में समर्थ है। यह एक मनोरंजक उपन्यास ना होकर यथार्थपरक उपन्यास है, जिसमें मध्यमवर्गीय माता-पिता की संतान के प्रति चिंताएं, तो संतान की इच्छाओं और रुचिओं के साथ साथ अनेक विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दर्शाया गया है, फिर भी कुछ पात्र और घटनाएं उपन्यास को मनोरंजक बनाते हैं।
कहानी और पात्रों के साथ लेखक ने पूर्ण न्याय किया है। कैंपस की वास्तविक स्थिति के साथ – साथ प्राध्यापकों और विद्यार्थियों का उपन्यासकार ने पूरी ईमानदारी से चित्रण किया है। उनकी यही ईमानदारी प्रभावित करती है।
मेरे विचार से उपन्यासकार ने जिस गाली बहुल भाषा का प्रयोग किया है उसे थोड़ा सभ्य बनाया जा सकता था। उपन्यास के जिस सूक्त कथन ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया वह है – “नए सपने देखने के लिए सुस्ता लेना बहुत ज़रूरी है, बिना सोए सुस्ताए हम सुनहरे सपने नहीं देख सकते”।
अगर दो पंक्तियों में कहा जाए तो कथानक, भाषा, पात्र, उत्कर्ष आदि की दृष्टि से यह एक सफल उपन्यास है और अंग्रेजी परस्त समाज को आज निखिल सचान जैसे शिक्षित हिंदी प्रेमी उपन्यासकारों की महती आवश्यकता है।
आप इस पुस्तक को खरीदने के लिए इस लिंक का प्रयोग कर सकते हैं |
tinyurlbitlyis.gdv.gdv.htplinkclck.ruulvis.netcutt.lyshrtco.detny.im
805823 305894I do not have a bank account how can I location the order? 889087
662809 518377Oh my goodness! a fantastic post dude. Thank you Even so I will be experiencing problem with ur rss . Dont know why Can not subscribe to it. Will there be any person acquiring identical rss dilemma? Anybody who knows kindly respond. Thnkx 887783
549780 157649Dead written articles , appreciate it for entropy. 922187
863140 961411An intriguing discussion is worth comment. I believe that you need to write more on this matter, it could not be a taboo subject but typically individuals are not enough to speak on such topics. To the next. Cheers 227058
6616 446853You got a extremely exceptional site, Glad I noticed it via yahoo. 884655
11419 8972As I internet site owner I believe the content material material here is very superb, thanks for your efforts. 670030
958671 844787Greetings! This really is my very first comment here so I just wanted to give a quick shout out and let you know I genuinely enjoy reading through your weblog posts. Can you recommend any other blogs/websites/forums that deal with exactly the same topics? Thank you so a lot! 103851
608250 653584Greetings! This is my initial comment here so I just wanted to give a quick shout out and tell you I genuinely enjoy reading via your weblog posts. Can you recommend any other blogs/websites/forums that deal with exactly the same topics? Thank you so considerably! 673357
354370 585665This blog genuinely is excellent. How was it made ? 85602
917779 697467Hey there, I think your site might be having browser compatibility issues. When I look at your blog in Safari, it looks fine but when opening in Internet Explorer, it has some overlapping. I just wanted to give you a quick heads up! Other then that, very good blog! 198402
455108 73743Thanks for all your efforts which you have put in this. very interesting information . 897472
92266 932696Hi. Thank you for producing this internet site . I m working on betting online niche and have found this web site using search on bing . Will likely be sure to look a lot more of your content . Gracias , see ya. :S 142124
956696 632749Likely to commence a business venture around the refers to disclosing your products and so programs not just to individuals near you, remember, though , to several potential prospects more by way of the www often. earn dollars 387859
246153 442112Thankyou for all your efforts that you have put in this. really interesting information . 636151
13912 971153Beneficial information and excellent style you got here! I want to thank you for sharing your tips and putting the time into the stuff you publish! Excellent function! 206498
WOW! this article it really great i like it
Hey, i found a great site with so many games
Just click this >>> DetikToto <<<
detiktoto has many games and lots of benefits, play now so you can feel the excitement and the benefits.
Dive into the action – where your journey begins. Lucky Cola
It¦s really a cool and useful piece of information. I¦m satisfied that you simply shared this useful info with us. Please stay us informed like this. Thanks for sharing.
As stewards of the cosmos, let us gaze upon the stars with wonder and reverence, recognizing that we are but fleeting travelers in the vast expanse of eternity, bound together by the threads of stardust.